Pavitrata Ke Changul Me 22 Pratidnya

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‘पवित्र’ समझे जाने वाले मामलों पर सवाल न उठाने के पारंपरिक संकेत को २२ प्रतिज्ञाओं पर लागू करने से, उनको पवित्रता की परीधी में लाया गया। त्रिरत्नों के अलावा मेरा कोई आश्रय नहीं है, यह एक बार यह घोषणा करने के बाद मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूं, यह बार-बार कहने का क्या उद्देश्य है? किसी बौद्ध मंदिर/विहार में प्रवेश करने के बाद “मैं हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नही मानूँगा” जैसी विभिन्न प्रतिज्ञाएं बुद्ध की मूर्ति के सामने दोहराना पूरी तरह से पागलपन है। जिस हिंदू धर्म का त्याग कर १४ अक्टूबर १९५६ को बौद्ध धर्म का स्वीकार भी किया, उसका क्रमशः त्याग और स्वीकृति की प्रतिज्ञाओं का पठन करनेवाले ‘शिक्षित अज्ञानी’ अतीत में रह रहे हैं या वर्तमान में ?

इसलिए यदि बड़े पैमाने पर यथार्थवाद की भावना पैदा की जाती है, तो ‘पुराने स्वर्ण’ को ध्यान में रखते हुए ‘नए हीरे’ की खोज करने की आवश्यकता होगी। ‘तर्कसंगत अनुकरण’ = (अनुसरण) करने वाले बौद्धों की संख्या में वृद्धि के लिए यह पुस्तिका इस दिशा में अवश्य ही चिंतन को प्रेरित करेगी।

डॉ. विनोद अनाव्रत

Product details
ISBN : ‏ 9788198022219
Publisher ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN; 1st edition (14 Oct 2025)
Language ‏ : ‎ Hindi
Hardcover ‏ : ‎ 48 pages
Item Weight ‏ : ‎ 70 g
Dimensions ‏ : ‎ 22 x 14 x 0.5 cm
Country of Origin ‏ : ‎ India
Importer ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN
Packer ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN
Generic Name ‏ : ‎ Book
Author : Dr. Vinod Anavrat

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