Jai Bhim Sanskruti Kiski? / जय भीम संस्कृति किसकी?

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संवाद की प्रक्रिया में अभिवादन का एक असाधारण महत्व है। शिष्टाचार की अभिव्यक्ति स्वरूप उनमें भी संस्कृति होती है। इसलिए एक ही अभिवादन हमारे सभी सामाजिक संबंधों को प्रदर्शित करने के लिए उपयोगी नहीं हो सकता। अभिवादन के तौर पर जय-भीम, केवल अतिशूद्रों को आपस मे जोडने के लिए ही सीमित है। इससे ज़्यादा उछालने की कोशिश उसे फिर से संकिर्ण बनाने वाली साबित होगी। जिन लोगों ने १४ अक्टूबर १९५६ को बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी, उन्हें जय भीम अभिवादन की समाप्ति की तारीख १३ अक्टूबर १९५६ होने का संज्ञान लेना चाहिए था। लेकिन उसके बाद भी उसका इस्तेमाल जारी रहने से डबल धमाके वाला विरोधाभास बरकरार है।

Product details
ISBN : ‏9788198022271‎
Publisher ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN; 1st edition (02 March 2025)
Language ‏ : ‎ Hindi
Hardcover ‏ : ‎ 96 pages
Item Weight ‏ : ‎ 170 g
Dimensions ‏ : ‎ 22 x 14 x 0.5 cm
Country of Origin ‏ : ‎ India
Importer ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN
Packer ‏ : ‎ ASHTVINAY PRAKASHAN
Generic Name ‏ : ‎ Book
Author : Dr.Vinod Anavrat

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